Movie/Album: साथिया (2002)
Music By: ए.आर.रहमान
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: अदनान सामी
ऐ उड़ी उड़ी उड़ी, ऐ ख़्वाबों की पुड़ी
ऐ अंग-रंग खिली, ऐ सारी रात बोली
हल्की, ऐ हल्की कल रात जो शबनम गिरी
अँखियाँ वखियाँ भर गयीं कल तो हाथ में डब डब गिरी
पहली पहली बारिश की छींटें
पहली बारिश भीगी हो हो
उलझी हुयी थी, खुल भी गयी थी, लट वो रात भर भरसी कभी मनाये, खूब सताए वो, सब यार की मर्जी
ऐ उड़ी उड़ी...
छेड़ दूं मैं कभी प्यार से तो, तंग होती है
छोड़ दूं, रूठ के, तो भी तो जंग होती है
छेड़ दूं मैं कभी प्यार से तो, तंग होती है
खामखा चूम लूं, तो भी तो जंग होती है
ज़िंदगी आँखों की, आयत है ज़िंदगी
आँखों में रखी है, तेरी अमानत है
ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी
ऐ उड़ी उड़ी...
लड़-लड़ के जीने को, ये लम्हें भी थोड़े हैं
मर-मर के सीने में, ये शीशे जोड़े हैं
तुम कह दो, सब नाते मंजिल दो सोचो तो
अम्बर पे पहले ही सितारे थोड़े हैं
ज़िंदगी आँखों की आयत है ज़िंदगी
पलकों में चखी है, मीठी शिकायत
ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी
ऐ उड़ी उड़ी...
Music By: ए.आर.रहमान
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: अदनान सामी
ऐ उड़ी उड़ी उड़ी, ऐ ख़्वाबों की पुड़ी
ऐ अंग-रंग खिली, ऐ सारी रात बोली
हल्की, ऐ हल्की कल रात जो शबनम गिरी
अँखियाँ वखियाँ भर गयीं कल तो हाथ में डब डब गिरी
पहली पहली बारिश की छींटें
पहली बारिश भीगी हो हो
उलझी हुयी थी, खुल भी गयी थी, लट वो रात भर भरसी कभी मनाये, खूब सताए वो, सब यार की मर्जी
ऐ उड़ी उड़ी...
छेड़ दूं मैं कभी प्यार से तो, तंग होती है
छोड़ दूं, रूठ के, तो भी तो जंग होती है
छेड़ दूं मैं कभी प्यार से तो, तंग होती है
खामखा चूम लूं, तो भी तो जंग होती है
ज़िंदगी आँखों की, आयत है ज़िंदगी
आँखों में रखी है, तेरी अमानत है
ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी
ऐ उड़ी उड़ी...
लड़-लड़ के जीने को, ये लम्हें भी थोड़े हैं
मर-मर के सीने में, ये शीशे जोड़े हैं
तुम कह दो, सब नाते मंजिल दो सोचो तो
अम्बर पे पहले ही सितारे थोड़े हैं
ज़िंदगी आँखों की आयत है ज़िंदगी
पलकों में चखी है, मीठी शिकायत
ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी
ऐ उड़ी उड़ी...
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