Movie/Album : स्वदेस (2004)
Music By : ए.आर.रहमान
Lyrics By : जावेद अख्तर
Performed By : उदित नारायण, मास्टर विग्नेश, बेबी पूजा
ये तारा वो तारा हर तारा
देखो जिसे भी लगे प्यारा
ये तारा वो तारा हर तारा
ये सब साथ में, जो हैं रात में
तो जगमगाए आसमान सारा
जगमग तारे, दो तारे, नौ तारे, सौ तारे, जगमग सारे
हर तारा है शरारा
तुमने देखी है धनक तो, बोलो रंग कितने हैं
सात रंग कहने को, फिर भी संग कितने हैं
समझो सबसे पहले तो, रंग होते अकेले तो
इंद्रधनुष बनता ही नहीं
एक न हम हो पाये तो, अन्याय से लड़ने को
होगी कोई जनता ही नहीं
फिर न कहना निर्बल है क्यों हारा
ये तारा वो तारा...
बूँद-बूँद मिलने से बनता एक दरिया है
बूँद-बूँद सागर है वरना ये सागर क्या है
समझो इस पहेली को, बूँद हो अकेली तो
एक बूँद जैसे कुछ भी नहीं
हम औरों को छोड़ें तो, मूँह सबसे ही मोड़ें तो
तनहा रह न जायें देखो हम कहीं
क्यों न मिल के बनें हम धारा
ये तारा वो तारा...
जो किसान हल सम्भाले, धरती सोना ही उगाये
जो गावाला गईया पाले, दूध की नदी बहायेMusic By : ए.आर.रहमान
Lyrics By : जावेद अख्तर
Performed By : उदित नारायण, मास्टर विग्नेश, बेबी पूजा
ये तारा वो तारा हर तारा
देखो जिसे भी लगे प्यारा
ये तारा वो तारा हर तारा
ये सब साथ में, जो हैं रात में
तो जगमगाए आसमान सारा
जगमग तारे, दो तारे, नौ तारे, सौ तारे, जगमग सारे
हर तारा है शरारा
तुमने देखी है धनक तो, बोलो रंग कितने हैं
सात रंग कहने को, फिर भी संग कितने हैं
समझो सबसे पहले तो, रंग होते अकेले तो
इंद्रधनुष बनता ही नहीं
एक न हम हो पाये तो, अन्याय से लड़ने को
होगी कोई जनता ही नहीं
फिर न कहना निर्बल है क्यों हारा
ये तारा वो तारा...
बूँद-बूँद मिलने से बनता एक दरिया है
बूँद-बूँद सागर है वरना ये सागर क्या है
समझो इस पहेली को, बूँद हो अकेली तो
एक बूँद जैसे कुछ भी नहीं
हम औरों को छोड़ें तो, मूँह सबसे ही मोड़ें तो
तनहा रह न जायें देखो हम कहीं
क्यों न मिल के बनें हम धारा
ये तारा वो तारा...
जो किसान हल सम्भाले, धरती सोना ही उगाये
जो लोहार लोहा ढाले, हर औज़ार ढल जाये
मिट्टी जो कुम्हार उठा ले, मिट्टी प्याला बन जाये
सब ये रूप हैं मेहनत के, कुछ करने की चाहत के
किसी का किसी से कोई बैर नहीं
सब के एक ही सपने हैं, सोचो तो सब अपने हैं
कोई भी किसी से यहाँ ग़ैर नहीं
सीधी बात है समझो यारा
ये तारा वो तारा...
मिट्टी जो कुम्हार उठा ले, मिट्टी प्याला बन जाये
सब ये रूप हैं मेहनत के, कुछ करने की चाहत के
किसी का किसी से कोई बैर नहीं
सब के एक ही सपने हैं, सोचो तो सब अपने हैं
कोई भी किसी से यहाँ ग़ैर नहीं
सीधी बात है समझो यारा
ये तारा वो तारा...
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