Movie/Album: गुमराह (1963)
Music By: रवि
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: महेंद्र कपूर
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी की
न तुम मेरी तरफ़ देखो गलत अंदाज़ नज़रों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये मेरी बातों में
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कश्मकश का राज़ नज़रों से
चलो इक बार...
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराए हैं
मेरे हमराह भी रुसवाइयां हैं मेरे माज़ी की
तुम्हारे साथ भी गुज़री हुई रातों के साये हैं
चलो इक बार...
तार्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा
चलो इक बार...
Music By: रवि
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: महेंद्र कपूर
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी की
न तुम मेरी तरफ़ देखो गलत अंदाज़ नज़रों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये मेरी बातों में
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कश्मकश का राज़ नज़रों से
चलो इक बार...
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराए हैं
मेरे हमराह भी रुसवाइयां हैं मेरे माज़ी की
तुम्हारे साथ भी गुज़री हुई रातों के साये हैं
चलो इक बार...
तार्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा
चलो इक बार...
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