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खामखां - Khamakha (Matru Ki Bijlee Ka Mandola, Vishal Bhardwaj)

| Thursday, January 17, 2013 |

Movie/Album: मटरू की बिजली का मंडोला (2013)
Music By: विशाल भारद्वाज
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: विशाल भारद्वाज, प्रेम देहाती

हलकी हलकी आहें भरना
तकिये में सर दे के धीमे धीमे
सरगोशी में बातें करना
पागलपन है ऐसे तुमपे मरना
उबला उबला क्यूँ लगता है?
ये बदन, ये जलन तो खामखां नहीं
खामखां नहीं
ये खलिश जो है, वो खामखां नहीं
हाँ तपिश तो है, पर खामखां नहीं
जो नहीं किया, कर के देखना
सांस रोक के, मर के देखना
ये बेवजह, बेसबब, खामखां नहीं
ये खामखां नहीं...

सारी सारी रात का जगना
खिड़की पे सर रखके उंघते रहना
उम्मीदों का जलना-बुझना
पागलपन है ऐसे तुमपे मरना
खाली खाली दो आँखों में
ये नमक, ये चमक, तो खामखां नहीं
खामखां नहीं
फ़िक्र रहती है, जो खामखां नहीं
ज़िक्र रहता है, जो खामखां नहीं
अश्क आँखों में, भर के देखना
आइना कभी, डर के देखना
ये बेवजह, बेसबब, खामखां नहीं
दीवानगी सही, ये खामखां नहीं
हाँ जुनूं तो है, पर खामखां नहीं...

सदा भवानी ताही जय हो प्यारा
गौरी पुत्र गणेश
पांच देव रक्षा करे हो प्यारा
ब्रह्मा विष्णु महेश
कसम यो देस मेरा से हरया भरया हरियाणा
सीधे साधे लोग अड़े के, दूध दही का खाना
बोलो राम राम...


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