Movie/Album: भाभी (1957)
Music By: चित्रगुप्त
Lyrics By: राजिंदर कृषण
Performed By: मो.रफ़ी, लता मंगेशकर
चली-चली रे पतंग मेरी चली रे
चली बादलों के पार, हो के डोर पे सवार
सारी दुनिया ये देख-देख जली रे
चली-चली रे पतंग...
यूँ मस्त हवा में लहराए
जैसे उड़न खटोला उड़ा जाए
ले के मन में लगन, जैसे कोई दुल्हन
चली जाए रे सांवरिया की गली रे
चली-चली रे पतंग...
रंग मेरी पतंग का धानी
है ये नील गगन की रानी
बांकी-बांकी है उठान, है उमर भी जवान
लागे पतली कमर बड़ी भली रे
चली-चली रे पतंग...
छूना मत देख अकेली
है साथ में डोर सहेली
है ये बिजली की तार, बड़ी तेज़ है कतार
देगी काट के रख, दिलजली रे
चली-चली रे पतंग...
Music By: चित्रगुप्त
Lyrics By: राजिंदर कृषण
Performed By: मो.रफ़ी, लता मंगेशकर
चली-चली रे पतंग मेरी चली रे
चली बादलों के पार, हो के डोर पे सवार
सारी दुनिया ये देख-देख जली रे
चली-चली रे पतंग...
यूँ मस्त हवा में लहराए
जैसे उड़न खटोला उड़ा जाए
ले के मन में लगन, जैसे कोई दुल्हन
चली जाए रे सांवरिया की गली रे
चली-चली रे पतंग...
रंग मेरी पतंग का धानी
है ये नील गगन की रानी
बांकी-बांकी है उठान, है उमर भी जवान
लागे पतली कमर बड़ी भली रे
चली-चली रे पतंग...
छूना मत देख अकेली
है साथ में डोर सहेली
है ये बिजली की तार, बड़ी तेज़ है कतार
देगी काट के रख, दिलजली रे
चली-चली रे पतंग...
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