Labels

About Me

जन्नतें कहाँ - Jannatein Kahan (KK, Nikhil D'Souza, Jannat 2)

| Monday, June 4, 2012 |

Movie/Album: जन्नत 2 (2012)
Music By: प्रीतम चक्रबर्ती
Lyrics By: सईद कादरी
Performed By: के.के., निखिल डी'सूज़ा

ज़रा सा, ज़रा सा
लगे तू खफ़ा सा
ज़रा सा, ज़रा सा
गिला बेवजह सा
तेरे ही लिए, तुझसे हूँ जुदा
जन्नतें कहाँ, बिन हुए फना
(ज़रा सा, ज़रा सा
मुझे है गुमा सा
ज़रा सा, ज़रा सा
अभी है नशा सा
तेरे ही लिए, तुझसे हूँ जुदा
जन्नतें कहाँ, बिन हुए फना)

निखिल डी'सूजा
(ज़रा सा, ज़रा सा
राहों में धुंआ सा
तेरे ही लिए, तुझसे हूँ जुदा
जन्नतें कहाँ, बिन हुए फना)

अब एक धुंआ सा दिखता है
जो भी लिखूं मैं मिटता है
दो पल में ही
वो बातें, वो रातें, वो यादें, किसी की
छूटती ही जा रही है
टूटती ही जा रही है
वो हर कड़ी
इन साँसों को, आहों को, मेरे गुनाहों की
मिल रही है कोई सजा
जन्नतें कहाँ...

निखिल डी'सूजा
फिर  कहाँ, फिर कहाँ
खो गया, रास्ता
यूँ तो आँखों के ही सामने था
मंजिल का पता
फिर भी जाने कैसे रह गया
ये दो कदम का फासला
ये दरमियाँ, अपने दरमियाँ
जन्नतें कहाँ...


0 comments:

Post a Comment

Labels

Blog Archive