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घूँघट की आड़ से दिलबर का - Ghoonghat Ki Aad Se Dilbar Ka (Kumar Sanu, Alka Yagnik)

| Friday, February 24, 2012 |

Movie/Album: हम हैं राही प्यार के (1993)
Music By: नदीम-श्रवण
Lyrics By: समीर
Performed By: कुमार सानू, अलका याग्निक

घूँघट की आड़ से दिलबर का
दीदार अधूरा रहता है
जब तक ना पड़े, आशिक़ की नज़र
सिंगार अधूरा रहता है
घूँघट की आड़ से दिलबर का

घूँघट की आड़ से दिलबर का
दीदार अधूरा रहता है
जब तक ना मिले, नज़रों से नज़र
इक़रार अधूरा रहता है
घूँघट की आड़ से दिलबर का

गोरे मुखड़े से घूँघटा हटाने दे
घड़ी अपने मिलन की तो आने दे
मेरे दिल पे नहीं मेरा काबू है
कुछ नहीं ये चाहत का जादू है
बढ़ती ही जाती हैं सनम प्यार की ये बेखुदी हो
दो प्रेमियों के ना मिलने से
संसार अधूरा रहता है
जब तक ना पड़े...

बाग में गुल का खिलना ज़रूरी है
हाँ मोहब्बत में मिलना ज़रूरी है
पास आने का अच्छा बहाना है
क्या करूं मैं कि मौसम दीवाना है
दिल मेरा धड़काने लगी अब तो ये दीवानगी हो
बिना किसी यार के जान-ए-जां
ये प्यार अधूरा रहता है
जब तक न मिले...


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