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न किसी की आँख का नूर हूँ - Na Kisi Ki Aankh Ka Noor Hoon (Md.Rafi)

| Thursday, September 15, 2011 |

Movie/Album: लाल किला (1960)
Music By: एस.एन.त्रिपाठी
Lyrics By: बहादुर शाह ज़फर, भारत व्यास
Performed By: मो.रफ़ी

न किसी की आँख का नूर हूँ, न किसी के दिल का क़रार हूँ
जो किसी के काम न आ सके, मैं वो एक मुश्त-ए-ग़ुबार हूँ

न तो मैं किसी का हबीब हूँ, न तो मैं किसी का रक़ीब हूँ
जो बिगड़ गया वो नसीब हूँ, जो उजड़ गया वो दयार हूँ
न किसी की...

मेरा रंग रूप बिगड़ गया, मेरा यार मुझसे बिछड़ गया
जो चमन ख़िज़ां से उजड़ गया, मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ
न किसी की...

पए-फ़ातेहा कोई आये क्यूँ, कोई चार फूल चढ़ाये क्यूँ
कोई आ के शम्मा जलाये क्यूँ, मैं वो बेकसी का मज़ार हूँ
न किसी की...


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